क्या आप रिटायरमेंट प्लानिंग के बारे में सोच रहे हैं? यह सही फैसला है। रिटायरमेंट प्लानिंग आवश्यक है, और आमतौर पर जल्दी और सही तरीके से शुरू कर देना ज़रुरी होता है।।
आपको यह जान कर आश्चर्य हो सकता है कि किसी को रिटायरमेंट प्लान की आवश्यकता क्यों है। रिटायरमेंट प्लान नीचे दिए गए कुछ कारणों से आवश्यक है :
- रिटायरमेंट के बाद आपका रेगुलर इनकम का स्रोत बंद हो जाएगा, पर आपको पैसे की ज़रूरत होगी, इसलिए अभी से अपने भविष्य के लिए रिटायरमेंट प्लान बनाना आवश्यक है।
- भविष्य में क्या होगा आप नहीं जानते हैं। आप नहीं जानते कि आप कितने साल तक जीवित रहेंगे। पर यह निश्चित है की आपको फंड्स की जरूरत होगी।
- जैसे-जैसे समय आगे निकलता जाएगा, हो सकता है की आप का मेडिकल खर्चा बढ़ जाये।
- अगर आपने टैक्स प्लानिंग ठीक से नहीं की है तो टैक्स आपके रिटायरमेंट कॉर्पस के हिस्से को कम कर सकता है।
- आप अपने भविष्य की योजना बना सकते है। इससे आपको अपने करियर प्लान करने और बेहतर फाइनेंसियल निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
- आप अपनी रिटायरमेंट के बाद महंगी छुट्टियों की योजना बनाने में सफल होंगे या हो सकता है कि आप महंगे शौक, जो आप व्यस्त कामकाजी जीवन के कारण नहीं कर पाए हों, पूरा कर सकेंगे।
- आप जल्दी रिटायरमेंट भी ले सकते हैं।
- रिटायरमेंट प्लानिंग से आप, बिना किसे पर निर्भर रहते हुए, एक इंडिपेंडेंट जीवन जी सकते हैं।
- अपने गोल्डन पीरियड में, आप एक सुखी रिटायर्ड जीवन जी सकेंगे।
पर्याप्त रिटायरमेंट धन इकट्ठा करने के लिए बुद्धिमानी से इन्वेस्ट करें, ताकि आपका फंड बढ़ती कीमतों के दर के विरुद्ध सुरक्षा दे पाए। पेंशन फंड के द्वारा बचत करने के अलावा म्यूच्यूअल फंड्स में भी इन्वेस्ट किया जा सकता है।
कुछ इन्वेस्टमेंट ओप्शन्स में से एक, जो इन्फ्लेशन (चीजों की बढ़ती दामों) को मात दे सकता है, वह है म्यूचुअल फंड ।
म्यूचुअल फंड आपकी रिटायरमेंट रणनीति का केंद्र बिंदु होना चाहिए। आम आदमी के शब्दों में, एक म्यूचुअल फंड कई इन्वेस्टर्स से पैसा इकट्ठा करता है और फिर इसे विभिन्न इक्विटी स्टॉक, डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट करता है। म्युचुअल फंड अच्छा लोंग- टर्म रिटर्न प्रदान करता हैं और आपकी रिटायरमेंट के बाद की आवश्यकताओं के लिए एक कार्पस बनाने में आपकी मदद कर सकता है। लेकिन, यहां सवाल यह है कि आपके लिए रिटायरमेंट को दिमाग में रखते हुए किस टाइप का असेस्ट्स सबसे अच्छा है?
यहां विभिन्न प्रकार के एसेट्स के कुछ विशेषताओं का उल्लेख किया गया है:
- इक्विटी: शेयर्स (कॉमन स्टॉक), म्युचुअल फंड (MF): किसी कंपनी के शेयर खरीदना।
- इक्विटी शेयर्स लिक्विडिटी प्रदान करता है; आप इनके वैल्यू बढ़ने पर, इन्हें बेच कर पैसा कमा सकतें है। कैपिटल मार्केट में आसानी से बिकता हैं।
- अधिक लाभ की स्थिति में इनसे हाई रेट पर प्रॉफिट प्राप्त होता है।
- इक्विटी शेयर होल्डर्स को कंपनी के मैनेजमेंट को नियंत्रित करने का कलेक्टिव अधिकार देता है।
- इक्विटी शेयर होल्डर्स को दो तरह से लाभ मिलता है, वार्षिक डिविडेंट और शेयर होल्डर्स के इन्वेस्टमेंट पर उसके मूल्य में वृद्धि होने के कारन से होने वाला लाभ ।
- इक्विटी शेयरस में हाईएस्ट रिस्क होता है।
- म्युचुअल फंड (MF) इसके तुलना में कम रिस्की होता है।
- बहुत सारे इन्वेस्टर्स का कलेक्टिव फंड, एसेट मैनेजिंग कंपनीज द्वारा, अलग-अलग सेक्टर्स के कंपनीज के शेयर्स खरीदने के लिए इन्वेस्ट कर, इन्वेस्टर्स को लाभ दिलाने के उद्देश्य से किया जाता है।
- डेट फंड्स (स्टॉक और एमएफ): जब किसी कंपनी को फंड्स की ज़रूरत होती है तो वह इन्वेस्टर्स के पास से पैसा उधार के तौर पर लेती है। बदले में, वे एक स्थिर और नियमित इंटरेस्ट इन्वेस्टर्स को देना का वादा करती है। इस प्रकार, सरल शब्दों में, डेट फंड्स काम करते हैं।
- एक डेट फंड फिक्स्ड-इंटरेस्ट देने वाली सिक्युरिटीज में इन्वेस्ट करता है।
- डेट फंड में इन्वेस्ट करने का मूल कारण एक स्टडी इंटरेस्ट इनकम और कैपिटल अपरीसिएशन पाना है। डेट इंस्ट्रूमेंट्स जारी करने वाले एंटिटीस आपको मिलने वाली इंटरेस्ट रेट के साथ-साथ मैच्योरिटी पीरियड पहले से तय करते हैं। इसलिए, उन्हें ‘फिक्स्ड-इनकम’ सिक्युरिटीज के रूप में भी जाना जाता है।
- डेट फंड्स, कई तरह की सिक्युरिटीज में इन्वेस्ट, उनकी क्रेडिट रेटिंग के आधार पर, करते हैं।
- हाई क्रेडिट रेटिंग का मतलब है कि ये एंटिटीस नियमित रूप से डेट सिक्योरिटी पर इंटरेस्ट देने के साथ-साथ मेचूरिटी पर प्रिंसिपल अमाउंट लौटने में भी अधिक सक्षम हैं।
- डेट फंड्स सभी वर्गों की सिक्युरिटीज में इन्वेस्ट करके रिटर्न को ऑप्टिमाइज़ करने का प्रयास करते हैं। इससे डेट फंड अच्छे रिटर्न कमा सकते हैं।
- हालांकि, रिटर्न की गारंटी नहीं है। डेट फंड का रिटर्न अक्सर अनुमान के मुताबिक कम होता है। यह, कंसरवेटिव इन्वेस्टर्स के बीच एक सुरक्षित इन्वेस्टमेंट का मौका देता है।
- शॉर्ट टर्म (तीन महीने से एक वर्ष तक) और मीडियम टर्म (तीन साल से पांच साल तक) दोनों तरह के इन्वेस्टमेंट करने वाले लोग डेट फंड में इन्वेस्ट करते हैं।
डेट फंड के बहुत सारे प्रकार हैं: डायनेमिक बॉन्ड फंड, इनकम फण्ड, शॉर्ट-टर्म और अल्ट्रा शॉर्ट-टर्म डेट फंड, लिक्विड फंड, गिल्ट फंड, इत्यादी.
- कमोडिटी फंड्स, (जिन में सभी प्रकार के गोल्ड इन्वेस्टमेंट शामिल हैं) : कमोडिटी फंड एक ऐसा फंड है जिसे किसी विशेष कमोडिटी के व्यापार में इन्वेस्ट किया जाता है, जैसे पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, गोल्ड, सिल्वर, फ़ूड ग्रेन्स, कॉफ़ी इत्यादी, जिससे इन्वेस्टर्स को मार्केट में इन कमोडिटीस के प्रदर्शन के आधार पर रिटर्न कमाने का अवसर मिलता है। कमोडिटी फंड्स अपने इन्वेस्टर्स को कई प्रकार के लाभ प्रदान करते हैं। हालांकि, इसके साथ आने वाले रिस्क्स से भी अवगत होना ज़रूरी है ।
निवेश करने से पहले इन फंड्स के रिस्क्स और लाभों के बारे में पूरी तरह से रिसर्च करें। नुकसान को कम करने और लाभ को बढ़ाने के लिए उन्हें एक प्रोफेशनल फाइनेंसियल कंसलटेंट से कंसल्ट करना चाहिए।