SGB का फुल फॉर्म है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, जो की सरकार द्वारा इशू किया जाता है, जिन्हें सोने के ग्राम में वैल्यू किया जाता है। यह फिजिकल सोना रखने का विकल्प (अल्टरनेटिव) है। बॉन्ड भारत सरकार की ओर से रिजर्व बैंक द्वारा जारी किया जाता है और बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SHCIL), चुनिंदा डाकघरों (पोस्ट ऑफिसेस), नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE), और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के माध्यम से बेचा जाता है।
SGB को सरकारी गारंटी प्राप्त है, इसलिए इसमें इन्वेस्ट करने पर जीरो रिस्क है।
फिजिकल सोना के अधिक स्टोरेज कॉस्ट की चिंता को खत्म करने के लिए, एसजीबी पेपर और डीमैट फॉर्मेट में उपलब्ध है। जब आप SGB में इन्वेस्ट करते हैं, तो आपको फिजिकल गोल्ड नहीं बल्कि होल्डिंग सर्टिफिकेट मिलता है।
इसका मतलब यह है कि आपको सोने की सुरक्षा के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, या इसे बैंक लॉकर में रखने के लिए एनुअल फी पे करने की आवश्यकता नहीं है। सर्टिफिकेट आपके नाम पर होगा और चोरी होने का कोई जोखिम नहीं होगा।
फिजिकल सोना हैंडल करने के तुलना में इसमें जीरो रिस्क है।
सॉवरेन गारंटी एक सरकार की गारंटी है, जिसमे पैमेंट करने की प्राथमिक जिम्मेदारी रखने वाली संस्था या एंटिटी, यदि दायित्व पूरा नहीं करता है तो वैसे में सरकार उस दायित्व को पूरा करने की एंटिटी लती है। इस वजह से SGB में इन्वेस्ट किया गया पैसा सुरक्षित है।
सोने का दाम RBI द्वारा फिक्स किया जाता है।
पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल ट्रांजक्शन (लेन-देन) में विस्तार के कारण SGB में इन्वेस्ट करना आसान हो गया है। इसी कारण से यहाँ हम SGB भारत में ऑनलाइन कैसे खरीदें, इस बारे में चर्चा करेंगे।
बहुत सारे बैंक्स अपने वेबसाइट पर, इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से, ऑनलाइन SGB खरीदने का ऑप्शंस देते हैं, और इनको खरीदने का तरीका अक्सर एक जैसा है। उधारण के तौर पे, SBI ऑनलाइन बैंकिंग के माध्यम से SGB खरीदने का तरीका नीचे दिया गया है।
एसबीआई ऑनलाइन बैंकिंग के माध्यम से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदने के लिए आप इन स्टेप्स को फॉलो करें :-
स्टेप 1. सबसे पहले स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के वेबसाइट पर जा कर अपने नेट बैंकिंग अकाउंट में लौग इन करें।
स्टेप 2. इसके बाद ‘eServices’ ऑप्शन (विकल्प) चुने और इसके अंदर ‘Sovereign Gold Bond’ पे क्लिक करें।
स्टेप 3. यहाँ पर, उन नियमों और शर्तों को पढ़ें, जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लागु की गई हैं। इन नियमों और शर्तों से अच्छी तरह वाकिफ होने पर, ‘proceed’ विकल्प पर क्लिक करें।
स्टेप 4. अब आप रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरें और पूरा होने पर ‘Submit’ बटन पर क्लीक्ल करें।
स्टेप 5. यहाँ पर, आपको अपने नॉमिनी का डिटेल्स परचेस फॉर्म में भरने के अलावा, आप कितने ग्राम खरीदना चाहते हैं यह भी भरना पड़ेगा।
स्टेप 6. परचेस फॉर्म में इन सारे डिटेल्स भरने के बाद ‘Submit’ पर क्लिक करें।
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के नियम के अनुसार नीचे दिए गए व्यक्ति/ संस्थाएं SGB के लिए अप्लाई कर सकतें हैं।
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया, RBI, भारत सरकार की तरफ से, SGB अलग-अलग हिस्सों में इशू करता है ।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना के सबसे बड़े लाभों में से एक, इंटरेस्ट पेमेंट है। सरकार आपके SGB इन्वेस्टमेंट पर 2.5% के रेट से फिक्स्ड एनुअल इंटरेस्ट देती है । यह इंटरेस्ट पेमेंट दो भागों में बांटा गया है और इन्वेस्टर को हर 6 महीने में पेमेंट किया जाता है।
चाहे सोने की कीमत बढ़े या गिरे, आपको इंटरेस्ट फिक्स्ड रेट से मिलने की गारंटी है।
रिडीम किये गए अमाउंट पर और इंटरेस्ट, दोनों पर सॉवरेन गारंटी (सरकार द्वारा दिए जाने वाला गारंटी) मिलता है।
फिजिकल सोने के स्टोरेज कॉस्ट और चिंता को खत्म करने के लिए, एसजीबी पेपर और डीमैट फॉर्मेट में उपलब्ध है। जब आप SGB में इन्वेस्ट करते हैं, तो आपको फिजिकल गोल्ड नहीं बल्कि होल्डिंग सर्टिफिकेट मिलता है।
इसका मतलब यह है कि आपको सोने की सुरक्षा के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, या इसे बैंक लॉकर में रखने के लिए एनुअल फी पे करने की आवश्यकता नहीं है। सर्टिफिकेट आपके नाम पर होगा और चोरी होने का कोई जोखिम नहीं होगा।
फिजिकल सोना हैंडल करने के तुलना में इसमें ज़ीरो रिस्क है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना पर पाए जाने वाला टैक्स बेनिफिट भी महत्वपूर्ण है। आपके SGB इन्वेस्टमेंट से आपको मिलने वाले इंटरेस्ट पर कोई TDS लागू नहीं होता है।
आपको मैच्योरिटी से पहले बॉन्ड ट्रांसफर करने और इंडेक्सेशन बेनिफिट हासिल करने की भी अनुमति है। अगर आप मैच्योरिटी के बाद बॉन्ड को भुनाते (रिडीम करतें) हैं, तो कैपिटल गेन टैक्स से भी छूट मिलेगी। हालांकि, आपके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार इंट्रेस्ट पूरी तरह से टैक्सेबल होगा।
एसजीबी का उपयोग लोन के लिए कोलैटरल के रूप में किया जा सकता है।
सोने का दाम RBI द्वारा फिक्स किया जाता है।
सर्टिफिकेट की ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज पर की जा सकती है।
8 साल का लम्बा मैच्योरिटी समय के कारण बहुत सारे इंवेस्टर्स गोल्ड बॉन्ड में इन्वेस्ट करना नहीं चाहतें हैं। हालांकि, यह लम्बा समय वास्तव में सबसे महत्वपूर्ण गोल्ड बॉन्ड लाभों में से एक है। 5 साल के बाद इजी एग्जिट ऑप्शन है।
सरकार ने सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण इन्वेस्टर्स को होने वाले नुकसान से बचने के लिए समय लम्बा रखा है। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन्वेस्टर्स इन्वेस्टमेंट की तारीख से 5 साल बाद बांड को भुना (रिडीम) सकते हैं।
लेकिन सोना एक महत्वपूर्ण वस्तु है और सरकार लगातार इसकी कीमत को स्थिर रखने के लिए काम करती है। और अगर आप 5-8 साल तक इनवेस्टेड रहेंगे, तो कैपिटल लोस्स की संभावना मिनिमम है। हालाँकि, लोस् की संभावना को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है।
आरबीआई 1 ग्राम के denominations और उसके मल्टीपल्स (multiples) में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करता है। भारत में ऑनलाइन गोल्ड बॉन्ड खरीदते समय, इन्वेस्टर्स को मिनिमम 1 ग्राम के लिए इन्वेस्ट करना चाहिए।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में, SBI के माध्यम से, इन्वेस्टमेंट का मैक्सिमम सीमा इस प्रकार है:
इस के आलावा, जॉइंट होल्डिंग के केस में, पहला होल्डर को केवल 04 किलोग्राम मैक्सिमम इन्वेस्टमेंट लिमिट की अनुमति है।
आरबीआई ऑफ़लाइन मार्गों के माध्यम से भी एसजीबी में इन्वेस्टमेंट की अनुमति देता है। इसके लिए इन्वेस्टर्स नीचे दिए गए किसी भी संस्था से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीद सकते हैं:
किसी एक इन्वेस्टमेंट ऑप्शन के द्वारा हर एक इन्वेस्टर अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता है। लेकिन अगर गोल्ड बॉन्ड टैक्स बेनिफिट, सरकारी गारंटी और इंटरेस्ट पेमेंट को ध्यान में रखा जाये तो, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि SGB में इन्वेस्ट करके पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन (diversification) हासिल करने के सबसे अच्छे तरीकों में से यह एक अच्छा तरीका है।
इन्वेस्ट करने से पहले, सुनिश्चित करें कि आप फायदे के साथ-साथ नुकसान को भी अच्छी तरह से समझते हैं और सही निर्णय लेने के लिए अपनी जरूरतों को होने वाले नुकसानों के साथ मैच करें।