अपने पास जमा अतिरिक्त पैसे का इन्वेस्टमेंट कैसे करना यह बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपके अच्छे आथिर्क जीवन के लिए इन्वेस्टमेन्ट सबसे अधिक आकर्षक कारणों में से एक है
प्रमुख बात ये है कि पैसे कमाने के केवल दो तरीके हैं: काम करके या फिर आप की अपनी संपत्तियां आपके लिए काम करे।
म्यूचुअल फंड सभी प्रकार के investors के लिए अविश्वसनीय रूप से बहुत लोकप्रिय विकल्प बन गए हैं। कई लोग इन दिनों म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करना चाहते हैं।
लेकिन बहुत से लोग इस बात से अभी भी अंजान है कि इस प्रक्रिया को कैसे शुरू करें और अपने लिए सही म्यूचुअल फंड का चयन कैसे करेंइसलिए, आपके द्वारा म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट शुरू करने से पहले हम इसके हर एक पहलु को बड़ी बारीकी से समझते है।
म्यूचुअल फंड एक इन्वेस्ट करने का तरीका है, जो मूल रूप से स्टॉक या बॉन्ड का कलेक्शन करते है जो कि एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के प्रोफेशनल्स द्वारा मैनेज किया जाता है।
Investors द्वारा अपना पैसा विभिन्न प्रकार की म्यूचुअल फंड यूनिट्स में अपनी रिस्क और इन्वेस्ट के समय के आधार पर लगाया जाता है।
म्यूचुअल फंड आपकी सेविंग को बढ़ाने के साथ साथ कम लागत और टैक्स में बचत के लिए बहुत ही प्रभावी तरीके से काम करता है।
बहुत से लोग शेयर मार्केट को follow करते हैं और विभिन्न कंपनियों द्वारा पेश किए गए शेयरों में इन्वेस्ट करना चाहते हैं लेकिन उन्हें हमेशा डर बना रहता है कि उनके पास शेयर मार्केट का पर्याप्त ज्ञान नहीं है या उनके पास इतना टाइम नही होता है कि वो मार्केट को सही से ट्रैक कर सके और ना ही मार्केट में चल रही लेटेस्ट खबरों के बारे में जान सकते है जिससे कि वो कोई गलत निर्णय लेने से बच सके ।
म्यूचुअल फंड उनकी इस समस्या का एकदम सही समाधान है, साथ ही इक्विटी मार्केट में सीधे इन्वेस्टमेंट करना भी risky है
बहुत सरल शब्दों में, आप ये कह सकते हो कि म्यूचुअल फंड एक कंपनी की तरह है जिसमे बहुत से लोगो का एक समुह साथ मे आता है और अपने पैसो के इन्वेस्टमेंट के बारे में एक कंपनी के रूप में सोचते हैं और उनके पैसे का इन्वेस्टमेंट कुछ चुनी हुई स्किम करता है।प्रत्येक इन्वेस्टर म्यूचुअल फंड में अपने शेयरों का मालिक होता है जो अपने होल्डिंग्स के एक हिस्से को रिप्रेजेंट करता है।
एक म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करना स्टॉक के शेयरों में इन्वेस्ट करने से अलग होता है।
स्टॉक के विपरीत, म्यूचुअल फंड अपने शयेर होल्डर्स को किसी प्रकार की वोटिंग अधिकार नहीं देते हैं। म्यूचुअल फंड केवल एक होल्डिंग में इन्वेस्ट करने की बजाय कई अलग-अलग स्टॉक (या अन्य सिक्युरिटीट्स) में इन्वेस्ट को रिप्रेजेंट करता है।
प्रत्येक म्यूचुअल फंड में एक या एक से अधिक फंड मैनेजर होते है ।
फंड मैनेजर को अलग अलग डोमेन में उनके नॉलेज के आधार पर चुना जाता है जो कि एक निश्चित म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करवाता है। बहुत से प्रकार के म्यूचुअल फंड होते है जिनकी जानकारी नीचे दी गई हैं।
इन्वेस्टमेंट के उद्देश्यों के आधार पर
इन म्यूचुअल फंड स्कीम्स को व्यापक रूप से निम्नलिखित स्कीम्स में बाटा जा सकता है :
ये स्कीम इन्वेस्टर्स के द्वारा लगाए गए पैसे को स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करती है
इक्विटी म्यूचुअल फंड में रिस्क का स्तर काफी अधिक होता है और इन्वेस्टर्स को सलाह दी जाती है कि वे सभी प्रकार की रिस्क को देख कर ही अपने इन्वेस्टमेंट करने की क्षमता के आधार पर ही इन्वेस्ट करे ।
भारत में स्टॉक मार्केट को व्यापक रूप से मार्केट के capitalization के आधार पर बाँटा जाता है, जिसका कैल्कुलेशन एक शेयर के मौजूदा मार्केट रेट के साथ एक कंपनी द्वारा प्रदान किए जाने वाले शेयरों की संख्या के साथ गुणा करके करा जाता है।
SEBI ( Securities and Exchange Board of India) ने मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर इन तीन श्रेणियों को परिभाषित किया है।
SEBI ने इक्विटी स्कीम के तहत कुल 11 कैटेगरी का निर्णय लिया है जबकि एक म्यूचुअल फंड कंपनी के पास केवल 10 कैटेगरी हो सकती हैं इसलिए इसे वैल्यू या कॉन्ट्रा फंड के बीच में से किसी एक का चयन करना होगा।
यह कैटेगरी निम्नानुसार हैं:
S.no | इक्विटी म्यूच्यूअल फंड | डिस्क्रिप्शन |
1 | मल्टी कैप फंड | इक्विटी और इक्विटी से संबंधित इंट्रुमेंट्स में न्यूनतम इन्वेस्ट – टोटल असेट्स का 65% होता है। इन फंडों में बहुत सी कैपिटलाइजेशन कंपनियों में पैसे को इन्वेस्ट किया जाता है । |
2 | लार्ज कैप फंड | लार्ज कैप वाली कंपनियों के इक्विटी और इक्विटी से जुड़े इंट्रुमेंट्स में न्यूनतम इन्वेस्ट टोटल असेट्स का 80% होना चाहिए । |
3 | लार्ज & मिड कैप फंड | लार्ज कैप और मिड कैप कंपनियों में इक्विटी और इक्विटी से जुड़े इंट्रुमेंट्स में न्यूनतम इन्वेस्ट – टोटल असेट्स का 35% होना चाहिए । |
4 | मिड कैप फंड | मिड कैप कंपनियों में इक्विटी और इक्विटी से जुड़े इंट्रुमेंट्स में न्यूनतम इन्वेस्ट टोटल असेट्स का 65% होना चाहिए । |
5 | स्मॉल कैप फंड | स्मॉल कैप कंपनियों में इक्विटी और इक्विटी से जुड़े इंट्रुमेंट्स में न्यूनतम इन्वेस्ट टोटल असेट्स का 65% होना चाहिए । |
6 | डिविडेंड यील्ड फंड | यह स्किम मुख्य रूप से डिविडेंड यील्ड फंड स्टॉक में इन्वेस्ट करता है। इक्विटी में न्यूनतम इन्वेस्ट टोटल असेट्स का 65% होना चाहिए
|
7 | वैल्यू फंड* | इक्विटी म्यूचुअल फंड वैल्यू इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी को फॉलो करते है इक्विटी और इक्विटी से संबंधित इंट्रुमेंट्स में न्यूनतम इन्वेस्ट टोटल असेट्स का 65% होना चाहिए। |
8 | कॉन्ट्रा फंड* | इक्विटी म्यूचुअल फंड वैल्यू इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी को फॉलो करते है इक्विटी और इक्विटी से संबंधित इंट्रुमेंट्स में न्यूनतम इन्वेस्ट टोटल असेट्स का 65% होना चाहिए। |
9 | फोकस्ड फंड | एक इक्विटी योजना अधिकतम 30 स्टॉकस में इन्वेस्ट करती है (मेंशन करना होता है कि वो किस स्कीम पर फोकस करना चाहती है जैसा जैसे मल्टी कैप, लार्ज कैप, मिड कैप, स्माल कैप)। इक्विटी और इक्विटी से संबंधित इंट्रुमेंट्स में न्यूनतम इन्वेस्ट टोटल असेट्स का 65% होना चाहिए |
10 | सेक्टरल / थीमैटिक फंड
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सेक्टर फंड उन कंपनियों के स्टॉकस में इन्वेस्ट करते हैं जो किसी विशेष इंडस्ट्री या बैंकिंग, इन्फ्रा, रूरल, फार्मा आदि जैसे इकॉनोमी के क्षेत्र में काम करते हैं।इक्विटी और इक्विटी से संबंधित इंट्रुमेंट्स में न्यूनतम इन्वेस्ट टोटल असेट्स का 80% होना चाहिए । |
11 | इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) | ELSS एक बहुत डेडिकेटेड म्यूचुअल फंड स्किम है जो इन्वेस्टर्स को टैक्स बचाने में मदद करती है और लॉन्ग टर्म तक पैसे को बढ़ाने का अवसर भी प्रदान करती है। इक्विटी और इक्विटी से संबंधित इंट्रुमेंट्स में न्यूनतम इन्वेस्ट टोटल असेट्स का 80% होना चाहिए |
* म्यूचुअल फंड वैल्यू फंड या कॉन्ट्रा फंड में से किसी एक को ही परमिट करने की अनुमती देता है ।
इन प्रकार के म्यूचुअल फंड ज्यादातर डेब्ट इंट्रुमेंट्स में इन्वेस्ट करते हैं, जैसे कॉरपोरेट बॉन्ड, गवर्नमेंट बॉन्ड, बैंकों द्वारा जारी बांड इत्यादि।
ये म्यूचुअल फंड उन ईनवेस्टर्स के लिए सबसे अच्छे हैं जो रिस्क लेने के प्रति अवेयर रहते हैं।
SBEI ने डेब्ट स्किमस के तहत कुल 16 कैटेगरी को शामिल किया है।
ये कैटेगरी निम्नानुसार हैं:
S.no. | डेब्ट म्यूच्यूअल फंड स्किम | डिस्क्रिप्शन |
1 | ओवर नाईट फंड | ओवरनाइट सिक्योरिटीज में इन्वेस्टमेंट करने पर एक ही दिन में मैच्युरिटी मिल जाती है । |
2 | लिक्विड फंड | डेब्ट और मनी मार्केट सेक्युरिटीट्स में इन्वेस्ट करना केवल 91 दिनों तक की मैच्युरिटी के साथ |
3 | अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड
|
डेब्ट और मनी मार्केट इक्विपमेंट में इन्वेस्टमेंट होता है मैच्युरिटी की अवधि 3 महीने से 6 महीने के बीच होती है |
4 | Low ड्यूरेशन फंड | डेब्ट और मनी मार्केट इक्विपमेंट में इन्वेस्टमेंट होता है पोर्टफोलियो की अवधि 6 महीने से 12 महीने के बीच होती है |
5 | मनी मार्केट फंड | 1 साल तक की मैच्युरिटी वाले मनी मार्केट इक्विपमेंट में इन्वेस्टमेंट होता है |
6 | शार्ट ड्यूरेशन फंड | डेब्ट और मनी मार्केट इक्विपमेंट में इन्वेस्टमेंट होता है पोर्टफोलियो की अवधि 1 साल से 3 साल के बीच होती है |
7 | मिडियम ड्यूरेशन फंड | डेब्ट और मनी मार्केट इक्विपमेंट में इन्वेस्टमेंट होता है पोर्टफोलियो की अवधि 3 साल से 4 साल के बीच होती है |
8 | मिडियम टू लांग ड्यूरेशन फंड | डेब्ट और मनी मार्केट इक्विपमेंट में इन्वेस्टमेंट होता है पोर्टफोलियो की अवधि 4 साल से 7 साल के बीच होती है |
9 | लांग ड्यूरेशन फंड | डेब्ट और मनी मार्केट इक्विपमेंट में इन्वेस्टमेंट होता है पोर्टफोलियो की अवधि 7 साल से अधिक होती है |
10 | डायनैमिक बांड | पूरे ड्यूरेशन के लिए इन्वेस्टमेंट |
11 | कॉरपोरेट बांड फंड | न्यूनतम इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेट बांड में हाईएस्ट रेट पर – टोटल असेस्ट्स का 80% |
12 | क्रेडिट रिस्क फंड | न्यूनतम इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेट बांड में कम रेट पर – टोटल असेस्ट्स का 65% |
13 | बैंकिंग&PSU fand | बैंकों के डेब्ट इंट्रुमेंट्स, पब्लिक सेक्टर इंट्रुमेंट्स, पब्लिक फाइनेंशियल इंटिट्यूश में इन्वेस्टमेंट – टोटल असेस्टस का 80% |
14 | गिल्ट फंड | Gsecs में मिनीमम इन्वेस्टमेंट – टोटल असेस्टस का 80% |
15 | गिल्ट फंड with 10 years कॉन्स्टेंट ड्यूरेशन | Gsecs में मिनिमम इन्वेस्टमेंट – टोटल असेस्टस का 80% पोर्टफोलियो का ड्यूरेशन 10 साल के बराबर होता है |
16 | फ्लोटर फंड | फ्लोटिंग रेट इंट्रुमेंट्स में मिनिमम इंवेसमेन्ट – टोटल असेस्टस का 65% |
हाइब्रिड स्किम्स में डेब्ट और इक्विटी दोनों में और अन्य संबंधित इंट्रुमेंट्स में पैसे का इन्वेस्टमेंट होता है
ये विविधता से भरे हुए म्यूचुअल फंड हैं जिनके पास इंवेसमेन्ट पर रिस्क और रिटर्न के बीच एक बहुत सही संतुलन होता है और इन दिनों ये सबसे लोकप्रिय म्यूचुअल फंड हैं।
SEBI द्वारा हाइब्रिड स्कीम के तहत 7 कैटेगरी दी गई हैं।
ये कैटेगरी निम्नानुसार हैं:
S.no. | हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्किमस
|
डिस्क्रिप्शन |
1 | कंज़र्वेटिव हाइब्रिड फंड
|
वे मुख्य रूप से डेब्ट इंट्रुमेंट्स में इन्वेस्ट करते हैं। इक्विटी से संबंधित इंट्रुमेंट्स में टोटल असेस्टस का 10-25% और डेब्ट इंट्रुमेंट्स में टोटल असेट्स का 75-90% |
2 | बैलेंस्ड हाइब्रिड फंड *
|
इक्विटी और डेब्ट इंट्रुमेंट्स में 50-50% इन्वेस्टमेंट होता है । इस स्किम में मध्यस्थता का कोई स्थान नही होता ।
|
3 | अग्रेसिव हाइब्रिड फंड *
|
ये मुख्य रूप से इक्विटी और इक्विटी से संबंधित इंट्रुमेंट्स में इन्वेस्ट करते हैं। इक्विटी से संबंधित इंट्रुमेंट्स में टोटल असेस्टस का 65-80% और डेब्ट इंट्रुमेंट्स में टोटल असेस्टस का 20-35%। |
4 | डायनामिक एसेट अलोकेशन बैलेंस्ड एडवांटेज फंड | एक हाइब्रिड म्यूचुअल फंड जो मार्केट की स्थितियों के आधार पर अपने इक्विटी एक्सपोजर को बदलता है |
5 | मल्टी-एसेट अलोकेशन
|
वे तीनों तरह के एसेट में इन्वेस्ट करते हैं जिनमें प्रत्येक को 10% न्यूनतम आवंटन होता है। फॉरेन इन्वेस्टमेंट को एक अलग एसेट के रूप में माना जाता है। |
6 | आर्बिट्रेज फंड | यह स्किम आर्बिट्रेज स्ट्रैटजी का पालन करती है। इक्विटी और इक्विटी से संबंधित इंट्रुमेंट्स में मिनीमम इन्वेस्टमेंट टोटल एसेट्स का 65% है । |
7 | इक्विटी सेविंग | यह स्किम में इक्विटी, आर्बिट्राज और डेब्ट में इन्वेस्ट करती है। इक्विटी से संबंधित इंट्रुमेंट्स में मिनिमम इन्वेस्टमेंट टोटल एसेट्स का 65% है और डेब्ट में मिनीमम इनवेस्टमेंट टोटल एसेट्स का 10% है। |
* म्यूचुअल फंड को एग्रेसिव हाइब्रिड फंड या बैलेंस्ड फंड में से किसी एक को ऑफर करने की अनुमति दी जाएगी
इन स्कीम्स में म्यूचुअल फंड की 2 कैटेगरी है ।
कैटेगरी निम्नानुसार हैं:
S.no. | सलूशन ओरिएंटेड स्कीम्स | डिस्क्रिप्शन |
1 | रिटायरमेंट फंड |
इस स्किम में कम से कम 5 साल या रिटायरमेंट की आयु तक लॉक-इन है, जो भी पहले हो |
2 | चिल्ड्रेन्स फंड | इस स्किम में कम से कम 5 साल तक या जब तक बच्चा मेजोरिटी की आयु प्राप्त नहीं करता है, तब तक लॉक-इन होता है |
इनकी 2 कैटेगरी हैं:
कैटेगरी निम्नानुसार हैं:
S.no. | Other Schemes | डिस्क्रिप्शन |
1 | इंडेक्स फंड / ETFs * | किसी पर्टिकुलर इंडेक्स की सिक्योरिटीज में मिनिमम इन्वेस्ट – टोटल एसेट्स का 9 5% |
2 | FoF’s (ओवरसीज/डोमेस्टिक) | अंडरलाइंग फंड में मिनिमम इन्वेस्ट-टोटल एसेट्स का 95% |
*ETF- एक्सचेंज ट्रेडेड फंड
2012 में, SEBI कई महत्वपूर्ण सुधारों को लाया था जिसमें म्यूचुअल फंडों में डाइरेक्ट प्लान का परिचय भी शामिल था। 1 जनवरी, 2013 से, भारत में प्रत्येक म्यूचुअल फंड दो प्रकार है – एक रेगुलर प्लान और डाइरेक्ट प्लान।
1.डाइरेक्ट प्लान म्यूचुअल फंड – Direct Plan Mutual Fund
वे म्यूचुअल फंड जहां एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMC) डिस्टिब्यूटर एक्सपेंसिस, ट्रेल फीस और ट्रांजेक्शन चार्ज नहीं लेती हैं। उनका एक्सपेंस रेश्यो बहुत कम है।
इसका मतलब है कि, एक इन्वेस्टर के रूप में, आपको एक ही पोर्टफोलियो होने के बाद भी अपने म्यूचुअल फंड से उच्च रिटर्न प्राप्त होगा
डाइरेक्ट प्लान के अंतगर्त डिस्ट्रीब्यूशन एक्सपेंसिस या कमीशन का शुल्क नहीं लगता हैं, जिसके परिणामस्वरूप इन प्लान में रेगुलर प्लान की तुलना में लोअर एनुअल चार्ज लगता है। इसलिए एक अलग (हाई) NAV होता है।
2.रेगुलर प्लान म्यूचुअल फंड- Regular Plan Mutual Fund
रेगुलर प्लान म्यूचुअल फंड में मिडिल मैन या ब्रोकेर्स को सेल्स कमीशन पैसो का भुगतान करते हैं, जो उन्हें बिज़नेस ला कर देते हैं।
मुख्य रूप से म्यूचुअल फंड ब्रोकर्स और मध्यस्थों के माध्यम से बेचे जाते हैं। म्यूचुअल फंड बेचकर कमाई गई कमीशन को फंड के एक्सपेंस रेश्यो में जोड़ा जाता है।
याद रखें, दोनों वर्शनस एक ही स्टॉक हैं जो एक ही फंड मैनेजर द्वारा उसी स्टॉक और बॉन्ड में इन्वेस्ट करते हैं।
अंतर यह है कि डाइरेक्ट म्यूचुअल फंड के मामले में कोई ब्रोकर या डिस्टिब्यूटर का कमीशन नहीं है।
जिसका अर्थ है, एक इन्वेस्टर के रूप में आपको सीधा उस म्यूचुअल फंड से हाई रिटर्न मिलता है।
1.ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड – Open-ended mutual fund
एक ओपन एंड म्यूचुअल फंड वह फंड होता है जिस पर फंड द्वारा जारी किए जाने वाले शेयरों के अमाउंट पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
ये प्लान डेली बेसिस पर यूनिट्स की परचेस करता हैं इसलिए, इन्वेस्टर को अपने परफॉर्मेशन के अनुसार इंटर करने और एग्जिट होने की अनुमति देता हैं।
2.क्लोज-एंडेड म्यूचुअल फंड – Close – ended mutual fund
क्लोज-एंडेड फंड एक ऐसा फंड है जिसमें एक निश्चित मैच्युरिटी पीरियड होता है, उदाहरण के लिए 3 से 6 साल ।
ये फंड अपने लॉन्च के समय एक निश्चित अवधि के लिए सदस्यता लेने के लिए खुले होते है। ये फंड स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होते हैं।
3.इंटरवल म्यूचुअल फंड – Interval Mutual Fund
इंटरवल फंड ओपन एंडेड और क्लोज-एंड फंड दोनों को जोड़ते हैं।
ये फंड स्टॉक एक्सचेंजों पर ट्रेड कर सकते हैं और मौजूदा NAV पर एक निश्चित अंतराल पर सेल या रिडेम्प्शन के लिए ओपन होते हैं।
आपके द्वार म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट से कमाया गया पैसा भी एक इनकम का रूप ही है (कैपिटल गेन) इसलिए इस पर भी टैक्स लगता है (कैपिटल गेन टैक्स)
म्यूचुअल फंड में लाभ पर टैक्स उसकी होल्डिंग पीरियड के अनुसार और म्यूचुअल फंड के टाईप के आधार पर अलग-अलग होता है।
आपके द्वार म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट से कमाया गया पैसा भी एक इन्कम
का रूप ही है (कैपिटल गेन) इसलिए इस पर भी टैक्स लगता है (कैपिटल गेन टैक्स)
म्यूचुअल फंड में लाभ पर टैक्स उसकी होल्डिंग पीरियड के अनुसार और म्यूचुअल फंड के टाईप के आधार पर अलग-अलग होता है।
टाईप | शॉर्ट-टर्म होल्डिंग | लॉन्ग-टर्म होल्डिंग |
इक्विटी फंड | 12 महीने से कम | 12 महीने या उससे अधिक |
बलेंसेड फंड | 12 महीने से कम | 12 महीने या उससे अधिक |
डेब्ट फंड | 36 महीने से कम | 36 महीने या उससे अधिक |
म्यूचुअल फंड प्लान में कैपिटल गेन पर टैक्स की दरें निम्नानुसार हैं:
टाईप | शार्ट टर्म कैपिटल गेन्स | लांग टर्म कैपिटल गेन्स |
इक्विटी फंड | 15% | 10% without इंडेक्सेशन |
बलेंसेड फंड | 15% | 10% without इंडेक्सेशन |
डेब्ट फंड | इंडिविजुअल इन्वेस्टर के टैक्स स्लैब के अनुसार | 20% after इंडेक्सेशन |
* यूनियन बजट 2018 की घोषणा से पहले इक्विटी ओरियंटेड फंड्स पर लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की दर शून्य थी।
यूनियन बजट 2018 में, वित्त मंत्री ने सालाना ₹ 1 लाख से अधिक कैपिटल गेन पर 10% का लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स पेश किया।
** इसके अलावा, यह टैक्स तभी लागू होता है जब LTCG टैक्स एक वित्तीय वर्ष में ₹ 1 लाख से ऊपर हो। इसलिए, यदि एक इन्वेस्टर ने एक वर्ष में ₹ 1,20,000 का लांग टर्म कैपिटल गेन प्राप्त किया है, तो LTCG टैक्स केवल ₹ 20,000 मतलब की 1,20,000 – ₹ 1,00,000 के लिए लागू होता है
जबकि डेब्ट ओरियंटेड स्किम में डिविडेंड शून्य हैं, जिसे डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) के रूप में जाना जाता है।
DDT एक टैक्स है जो सरकार द्वारा कंपनी के इंवेसमेन्ट को दिए गए डिविडेंड के आधार पर कंपनियों पर लगाया जाता है।
मनी मार्केट, लिक्विड, और डेट फंड जैसे सभी गैर-इक्विटी फंड्स पर DDT 25% प्लस, 12%सरचार्ज प्लस, 3% शेष है, जो टोटल 28.84% होता है।
वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने अपने केंद्रीय बजट 2018 में ग्रोथ ओरियंटेड और डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूटिंग स्किम्स को एक अच्छा स्तर प्रदान करने के लिए 10% की दर से इक्विटी म्यूचुअल फंड पर DDT टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा है।
जो इन्वेस्टर सीधे DDT टैक्स कर का भुगतान नहीं करता है। फंड हाउस इसे स्किम के NAV में से घटा देता है।
इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) म्यूचुअल फंड की एक श्रेणी है जिसे सरकार ने इक्विटी में लाँग टर्म इन्वेस्ट को और अधिक बढ़ावा देने के लिए बनाया है।
एक ELSS फंड मैनेजर एक diversified पोर्टफोलियो में इन्वेस्ट करता है जो मुख्य रूप से इक्विटी और इक्विटी से संबंधित इंट्रुमेंट्स में इन्वेस्ट करके हाई रिस्क लेते हैं और हाई रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं।
ELSS म्यूचुअल फंड आयकर अधिनियम की धारा 80 C के तहत टैक्स में लाभ प्रदान करते हैं। इस सेक्शन के अनुसार, कोई ELSS फंड में इन्वेस्ट करके 1,50,000 तक टैक्स में छूट का लाभ उठा सकता है।
सभी टैक्स सेविंग स्किम में से, यह एकमात्र ऐसी स्किम है जो शुद्ध इक्विटी का अनुभव करती है।
हालांकि ELSS में कुछ रिस्क भी होता है, मिनिमम ड्यूरेशन के साथ, यह आज सबसे इफेक्टिव टैक्स सेविंग व्हीकल के रूप में उभरा है।
म्यूचुअल फंड स्किम इन्वेस्टरों की विशेष आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बहुत से आसान, स्मार्ट और सुविधाजनक विकल्प या इन्वेस्टमेंट के तरीको बताता हैं। लम्प सम और सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान systematic investment plan (SIP). सबसे प्रसिद्ध है ।
1.लम्प सम – Lump sum
लम्प सम में किसी इन्वेस्टर द्वारा किसी भी म्यूचुअल फंड प्लान में एक ही बार मे बड़ा इन्वेस्टमेंट किया जाता है।
लेकिन उनमें इन्वेस्टमेंट करने की एक आइडियल मेथड पूरे एक फाइनेंसियल ईयर में आपके इन्वेस्टमेंट को चौंका सकता है।
यह आपके परचेस की कॉस्ट को औसत करने और वोलैटिलिटी (अस्थिरता) को हराने में भी मदद करता है। इसके अलावा यह आपके जीवन में फाइनेंसियल डिसिप्लिन को भी लाता है।
2.SIP
SIP म्यूचुअल फंड का एक प्लान है जिसमे रेगुलर बेसिस पर एक निश्चित अमाउंट का इन्वेस्टमेंट करने का विकल्प होता है मतलब की प्रेडेफिनेड रेगुलर इंटरवल पर इन्वेस्टमेंट होता है ।
यह रेगुलर सेविंग स्कीम्स रेकरिंग डिपाजिट (recurring deposit) के समान है।SIP में इन्वेस्टमेंट एक निश्चित इंटरवल पर नियमित रूप से किया जाता है ये या तो वीकली या मंथली या क्वार्टरली होता है।
यहां आप अपने लम्प सम प्लान को 12 बराबर भागों में विभाजित करेंगे या यूं कहें कि आप मार्च में ₹ 1,20,000 इन्वेस्टमेंट करने की योजना बना रहे हैं तो SIP में आप ₹ 10,000 प्रति माह इन्वेस्ट करेंगे।
इसलिए, तनाव से खुद को बचाने के लिए, आपको हमेशा म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट करने के लिए SIP को चुनना चाहिए, खासकर के इक्विटी ओरियंटेड फंडों के लिए। SIP फंड सर्वश्रेष्ठ होते है
यहाँ 15 बेसिक पैरामीटर्स दिए गए है जिन्हें आपको म्यूचुअल फंड प्लान को चुनने या तुलना करने से पहले हमेशा देखना चाहिए।
1 | रेटिंग | रेटिंग का निर्धारण कई फैक्टर के आधार पर किया जाता है असेसमेंटस का बहुत सावधानीपूर्वक इवैल्यूएशन या इवैल्यूएशन के बाद प्रोडक्ट को दिया गया स्कोर ही रेटिंग होता है। म्यूचुअल फंड प्लान चुनने में यह पहला कदम होता है। टॉप रेटिंग एजेंसी होती हैं जो कंपनियों द्वारा जारी म्यूचुअल फंड को रेट करती हैं। |
2 | NAV | NAV या नेट एसेट वैल्यू पोर्टफोलियो में शामिल सभी शेयरों के टोटल मार्किट वैल्यू ( फंड से संबंधित सभी एक्सपेंस को लेने के बाद) जो उपलब्ध यूनिटों की संख्या से विभाजित होता है। म्यूचुअल फंड में NAV लॉस और गेन का फंडामेंटल होता हैं। जब भी फंड के प्रॉफिट में वृद्धि होती है, नेट एसेट वैल्यू यूनिट्स में बिना किसी भी बदलाव के बढ़ता है, इस प्रकार यह निर्धारित करता है कि इन्वेस्टमेंट पर कोई लाभ मिल रहा है या नही । |
3 | एक्सपेंस रेश्यो | एक्सपेंस रेश्यो को इस तरह डिफाइंड किया जा सकता है: टोटल ऑपरेटिंग एक्सपेंसिस को टोटल वैल्यू ऑफ एसेटस अंडर मैनेजमेंट (AMU) से डिवाइड करने पर मिलता है ।
AUM प्रोपर्टी का टोटल मार्किट वैल्यू है जो इन्वेस्ट या फाइनेंसियल इंस्टिट्यूशन को कंपनी या फर्म की तरफ से मैनेज करता है। |
4 | एंट्री लोड | जब एक इन्वेस्टर म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करता है तो एंट्री लोड चार्ज लिया जाता है। यह इन्वेस्ट के समय NAV में जोड़ा गया प्रतिशत होता है। |
5 | एग्जिट लोड | एग्जिट लोड को रिडेम्प्शन की तारीख पर चार्ज किया जाता है, और इसकी वैल्यू फंड टू फंड पर निर्भर रहती है। सेल्स चार्ज, एग्जिट और एंट्री लोड के रूप में कटौती किये गए पैसो को सीधे AMC में जोड़ा जाता है,ना कि म्यूचुअल फंड में । |
6 | AMC | यह एसेट्स मैनेजमेंट कंपनी का शार्ट फॉर्म होता है – वह कंपनी जो एक म्यूचुअल फंड चलाती है। उदाहरण के लिए HDFC म्यूचुअल फंड, ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड हैं। AMCs की सूची यहां होती है। टॉप AMCs के पास अच्छे और प्रोफेशनल फंड मैनेजर होते हैं। |
7 | AUM | इसका शार्ट फॉर्म होता एसेट्स अंडर मैनेजमेंट म्यूचुअल फंड प्लान का टोटल फंड इंवेसमेन्ट के लिए होता है। |
8 | बैंचमार्क | आप अपने रिटर्न की तुलना कर सकते हैं। विशेष बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी हैं। लेकिन फिर, आपके द्वारा चुने किए गए फंड के आधार पर बहुत सारे हैं |
9 | फंड मैनेजर | फंड मैनेजर एक ऐसा व्यक्ति होता है जो तक काट है कि म्यूचुअल फंड में पैसा कहां इन्वेस्ट करना है। एक म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन काफी हद तक अपने फंड मैनेजर पर ही निर्भर करता है। |
10 | होल्डिंग्स | होल्डिंग्स कंटेन्ट्स होते है जो इन्वेस्टमेंट पार्टफ़ोलियो पर म्यूचुअल फंड की मदद करते है । ये उन कंपनियों के नाम हैं जिनके शेयर या बॉन्ड खरीदे जाते हैं। |
11 | लांच डेट | लांच डेट वह तारीख है जिस पर म्यूचुअल फंड लॉन्च किया गया है नए फंड ऑफर के माध्यम से। या पुराना फंड बेहतर है आप इसके पर्फोमेशन के बारे में फैसला कर सकते हैं। |
12 | लॉक इन पीरियड | यह वह टाइम पीरियड होता है जिसमे इन्वेस्टमेंट को किसी टाइम पीरियड के लिए किया जाता है, जिससे पहले इन्वेस्ट किए पैसे को वापस नहीं लिया जा सकता है। टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड (ELSS) में 3 साल का लॉक-इन है। |
13 | रिटर्न | रिटर्न इन्वेस्टमेंट का लॉस या प्रॉफिट होता है। इसमे मूल रूप से वैल्यू / प्रिंसीपल अमाउंट से परिवर्तन होता है। म्यूचुअल फंड में, हम आम तौर पर 1 y, 3 y और 5 y रिटर्न की जांच करते हैं। |
14 | रिस्क | रिस्क का मतलब इन्वेस्टमेंट में आमतौर पर अनिश्चितता से होता है । यह स्टैण्डर्ड या एक्सपेक्टेड वैल्यू से डेविएशन (विचलन) होता है। प्रत्येक म्यूचुअल फंड इसके एसेट एलोकेशन के आधार पर जुड़े रिस्क के अगेंस्ट रेट करते है। |
15 | SIP | यह म्यूचुअल फंड में हर महीने इन्वेस्ट (SIP) करने की मिनिमम अमाउंट है। यह अमाउंट AMC द्वारा तय जाता है |
बहुत से प्रकार के म्यूचुअल फंडों से प्राप्त रिटर्न का ब्यौरा देने के लिए यहां एक टेबल दी गई है।
फंड केटेगरी | आइडियल इन्वेस्टमेंट टेन्योर | एक्सपेक्टेड रिटर्न्स |
ELSS | 5 साल और ज्यादा(3 साल अनिवार्य है)
|
15-20% |
लार्ज कैप फंड | 4 साल और ज्यादा | 12-18% |
मिड कैप फंड | 6 साल और ज्यादा | 15-20% |
स्माल कैप फंड | 7 साल और ज्यादा | 15-20% |
मल्टी कैप फंड | 5 साल और ज्यादा | 15-20% |
सेक्टर फंड | वैरिएबल ( इन्वेस्टमेंट के लिए चुने गए क्षेत्र से अलग) | वैरिएबल |
इंडेक्स फंड | इस बात पर निर्भर करता है कि फंड किस इंडेक्स से संबंधित है | वैरिएबल |
लिक्विड फंड | कुछ दिन – कुछ हफ्तों
|
7-9% |
अल्ट्रा शार्ट टर्म फंड्स | 6 महीने – 1 साल | 6-9% |
शार्ट टर्म फंड्स | 1-3 साल | 5-9% |
मंथली इनकम प्लान | वैरिएबल* | 7-10% |
गिल्ट फंड | 1+ साल | 8-10% |
इनकम फंड | 1-3 साल | 8-10% |
डेब्ट ओरियंटेड हायब्रिड फंड | 2-3 साल | 8-12% |
इक्विटी ओरियंटेड हायब्रिड फंड | 2-3 साल | 10-15% |
* ऊपर लिखित रिटर्न म्यूचुअल फंड के पिछले प्रदर्शन पर आधारित हैं और भविष्य में एक ही ट्रेंड का पालन नहीं करेंगे।
कई तरह के म्यूचुअल फंड स्कीम्स आपके पास चुनने के लिए है ।ऐसे कई तरीके हैं जिनमें कोई इन्वेस्ट कर सकता है। कोई ऑनलाइन या ऑफलाइन या डायरेक्ट और रेगुलर योजनाओं में इन्वेस्ट कर सकता है।
1.ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से – Online mediums
कई तरह के ऑनलाइन पोर्टल हैं, जहां से आप AMCs में विभिन्न म्यूचुअल फंड प्लान में इन्वेस्ट कर सकते हैं। ज्यादातर पोर्टलों के पास इन्वेस्ट के समय आसान फंड ट्रांसफर की सुविधा के लिए कई बैंकों से समझौता कर के रखते है।
GROWW जैसी कुछ कंपनियां बिना किसी चार्जेज के सीधे फंड में इन्वेस्टमेंट करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल प्रदान करती हैं। यह 100% फ्री और पेपरलेस माध्यम है।
यह म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट का सबसे अच्छा और आसान तरीका है।
2. इंटरमीडिएट के माध्यम से – Through an intermediary
इंटरमेडियारीज़ की एक बहुत बड़ी वैराइटी उपलब्ध है।
इनमें अधिकांश बैंक, नेशनल या रीजनल डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियां, कुछ स्टॉक ब्रोकर (ऑनलाइन ब्रोकर समेत) और बड़ी संख्या में इंडिविदुअल्स और स्माल फाइनेंसियल एडवाइजरी कंपनियां शामिल हैं।
सभी इंटरमेडियारीज़ को भारत में एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड (AMFI) के साथ रजिस्टर होना होता है जो एक सेरचबले ऑनलाइन डायरेक्टरी को भी मेंटेन कर के रखते है ।
3.IAFs के माध्यम से – Through IAFs
IFAs एक इंडिपेंडेंट फाइनेंसियल एडवाइजर होता है । जो ऐसे व्यक्ति हैं जो म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट की सुविधा के लिए एजेंट के रूप में कार्य करते हैं।
ये आपको एप्लीकेशन फॉर्म भरने में मदद करते हैं और साथ मे AMC भी जमा करते हैं।
4.आपके बैंक के माध्यम से – Through the bank
बैंक भी इंटरमेडियारीज़ (मध्यस्थ) का काम करते हैं जो बहुत सी AMCs की फंड स्किमस को देते है । आप सीधे अपनी बैंक की ब्रांच में उन फंड प्लान में इन्वेस्ट कर सकते हैं, जिनमें आप इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं।
5.डीमैट और ऑनलाइन ट्रेडिंग खातों के माध्यम से – Through a demat account
यदि आपके पास demat account है, तो आप इस accounts के माध्यम से म्यूचुअल फंड स्किम को खरीद और बेच सकते हो ।
इस लेख में हाइलाइट किया गया knowledge म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट के लिए basic concepts के बारे में बताने के लिए है।
यह, किसी भी तरह के, म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट के हर पहलू को भले ही शामिल नहीं करता है, लेकिन निश्चित रूप से आपको अपनी इन्वेस्ट की यात्रा के लिए एक अच्छी शुरुआत देगा।
ऑनलाइन म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करना बहुत ही सरल है यह बिना पेपर वर्क से हो जाता है। बस अपने Groww अकाउंट में लॉग इन करें, फंड चुनें, और नेट बैंकिंग का उपयोग करके इन्वेस्ट करें – ठीक उसी तरह जैसे आप ऑनलाइन खरीदारी करते है।
इन्वेस्टमेंट की शुभकामनाएं