म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट हर एक इन्वेस्टर के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं। जिसका कारण है इससे मिलने वाले फायदे। इसके कईं फायदों में से कुछ सबसे महत्वपूर्ण फ़ायदे नीचे दिए हैं, जो इन्वेस्टर्स को अपनी ओर खींचते है और जिसकी वजह से –
शुरुआती इन्वेस्टर्स के लिए इस म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट गाइड में हमने कुछ आर्टिकल्स को आपके लिए चुना है। जो म्युचुअल फंड को समझने में और कैसे इन्वेस्ट करना शुरू करें, इसमें आपकी मदद करेंगे। हम सुझाव देंगे कि आप इस पेज को बुकमार्क कर लें ताकि आप इन आर्टिकल्स को अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी पढ़ सकें।
1.म्युचुअल फंड्स की जानकारी
अगर आप म्युचुअल फंड्स और उसके प्रकारों के बारे में पहले से जानते हैं, तो आप सीधे अगले सेक्शन पर जा सकते है । ये 5 आर्टिकल्स, म्युचुअल फंड्स और उसके प्रकारों के बारे में सारी ज़रूरी जानकारी देंगे। हम टैक्स सेविंग फंड्स पर भी एक विशेष आर्टिकल दे रहे हैं।
2.म्युचुअल फंड्स का एक पोर्टफ़ोलियो बनाना
म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करने का सही तरीका है – सबसे पहले इसका पोर्टफोलियो बनाना। एक पोर्टफोलियो, म्युचुअल फंड का एक समूह होता है। यह आपको अपने इन्वेस्टमेंट के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा। आपका सारा रिटर्न् आपके पूरे पोर्टफोलियो पर टिका होता है, ना कि किसी एक विशेष फंड पर। इस सेक्शन में, हम यह सीखेंगे कि म्युचुअल फंड पोर्टफोलियो कैसे तैयार किया जाता है।
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3.म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करना
कईं शुरुआती इन्वेस्टर्स म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करने की प्रक्रिया को मुश्किल मानकर उसमें इन्वेस्ट करने से कतराते हैं। ये आर्टिकल्स ऐसे ही शुरुआती इन्वेस्टर्स को म्युचुअल फंड को समझने में और इन्वेस्टमेंट शुरू करने में मदद करेंगे।
4.कुछ और महत्वपूर्ण जानकारियाँ
म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करते समय कुछ ज़रूरी बातें है, जिनकी जानकारी हर शुरुआती इन्वेस्टर को होनी चाहिए। इन बातों को समझे बिना इन्वेस्ट करने से, रिटर्न्स पर काफ़ी बुरा असर पड़ सकता है।
जहाँ म्युचुअल फंड्स की बात आती है वहाँ आमतौर पर लिस्ट में दिए गए इन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। हालाँकि शुरुआती इन्वेस्टर्स को इन सभी शब्दों को याद रखने की ज़रूरत नहीं है, आप किसी भी शब्द को सीखने के लिए, ग्लोसरी (डिक्शनरी) के तौर पर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
शब्द | जानकारी |
80सी | यह इनकम टैक्स की धारा के अंदर आने वाला सेक्शन है जो इनकम टैक्स में छूट को बताता है। अधिक जानकारी के लिए यहाँ देखें। |
एएमसी (AMC) | एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) – ऐसी कंपनी जो म्युचुअल फंड्स चलाती है। जैसे HDFC म्युचुअल फंड,ICICI प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड। AMCs की लिस्ट यहाँ देखें।
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वार्षिक रिटर्न | अगर इन्वेस्टमेंट एक साल तक किया गया है तब उस पर रिटर्न मिलता है। अगर आप एक साल से कम या एक साल से ज़्यादा के लिए इन्वेस्टमेंट करते हैं, तब भी इसे एक साल का ही माना जाएगा। |
आर्बिट्रेज़ फंड्स | आर्बिट्रेज़ फंड विशेष प्रकार के म्युचुअल फंड हैं जो इक्विटी सेक्योरिटीज़ में इन्वेस्ट करते हैं, लेकिन साथ ही साथ इन इक्विटी सेक्योरिटीज़ के डेरिवेटिव में एक जैसी और विपरीत स्थिति ले लेते हैं। ये फंड प्रभावी तौर पर लिक्विड फंड्स के बराबर ही रिटर्न देते हैं और इनमें रिस्क भी उतनी ही होती है। इसके अलावा, इन फंड्स पर इक्विटी फंड्स की ही तरह टैक्स लगाया जाता है और इसलिए 1 साल के बाद टैक्स ज़ीरो हो जाता है। |
एसेट एलोकेशन | एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें आपके फंड्स को अलग-अलग एसेट्स में एलोकेट किया जाता है। इन एसेट्स का मतलब है, जैसे – इक्विटी, डेट या गोल्ड। एसेट्स को आगे चलकर लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप में भी बांटा जा सकता है। |
एयूएम (AUM) | एसेट्स अंडर मैनेजमेंट(AUM)। म्युचुअल फंड स्कीम में इन्वेस्टमेंट के लिए रखा हुआ कुल फंड। |
एवरेज मेचोरिटी (औसत मेचोरिटी) | फंड के द्वारा ली गई सभी डेट सेक्योरिटीज़ (डेट सेक्योरिटी के शुरुआती दिन और आखिरी पेमेंट के दिन के बीच के साल, जिस पॉइंट पर प्रिंसिपल का पेमेंट किया जाना है) के मेचोरिटी का वेटेड एवरेज। |
बैलेंस्ड फंड्स | बैलेंस्ड फंड्स को हाइब्रिड फंड्स भी कहते है- इक्विटी ओरिएंटेड फंड्स डेट और इक्विटी में इन्वेस्ट करते है। बैलेंस्ड फंड्स के बारे में यहाँ और पढ़ें |
बेंचमार्क | ऐसे मानदंड जिनसे आप अपने रिटर्न की तुलना कर सकते हैं। आमतौर पर बेंचमार्क में सेंसेक्स और निफ्टी आते है। पर इनके अलावा कुछ और भी चीजें हो सकती है, मगर ये इस पर निर्भर करता है कि आपने कौन-सा फंड चुना है। |
ब्रोकरेज | ये वो फीस है जो अपने इन्वेस्टमेंट को खरीदने या बेचने के लिए आप अपने ब्रोकर को देते हैं । |
क्रेडिट रेटिंग | किसी कंपनी या सरकार द्वारा दिए गये सभी डेट की इंडिपेंडेंट (स्वतंत्र) रेटिंग एजेंसियों द्वारा रेटिंग की जाती है। यह रेटिंग कंपनी के डेट को वापस चुकाने की क्षमता के आधार पर की जाती है। उदाहरण के लिए AAA रेटेड डेट अच्छे है जबकि BB नहीं। |
क्रिसिल | क्रिसिल एक रेटिंग एजेंसी है, जो कंपनियों के द्वारा दिए गए म्युचुअल फंड्स और डेट को रेट करती है। |
डेट फंड्स | डेट फंड्स म्युचुअल फंड्स हैं, जो डेट इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट करते हैं। डेट फंड्स के बारे में यहाँ और जाने। |
डायरेक्ट फंड्स | ऐसे फंड्स जो आप डिस्ट्रीब्यूटर्स से नहीं खरीदते हैं। इन्हें सीधे AMC से खरीदा जाता है। डायरेक्ट फंड्स के बारे में यहाँ और जानें। |
डिविडेंड स्कीम्स | ऐसी म्युचुअल फंड स्कीम्स जो मुनाफ़े को दोबारा इक्विटी और डेट में डालने की बजाय, अपने इन्वेस्टर्स को नियमित तौर पर डिविडेंड देती है। |
इएलएसएस (ELSS) | इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS)। इसे टैक्स सेविंग फंड्स के नाम से भी जाना जाता है – ये विशेष म्युचुअल फंड्स है, जिन्हें सेक्शन 80C के तहत टैक्स से छूट मिली हुई है। इसके बारे में यहाँ और पढ़ें । |
इक्विटी | इक्विटी का मतलब है किसी कंपनी के स्टॉक्स। इक्विटीज़ को खरीदना और किसी कंपनी के स्टॉक्स को खरीदना एक जैसा ही है। इक्विटी म्युचुअल फंड्स, पब्लिक लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में इन्वेस्ट करते है। |
ईटीएफ (ETF) | एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF)। ETF, म्युचुअल फंड्स जैसे ही हैं पर ये स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड किए जाते हैं। लोग इन्हें स्टॉक्स की ही तरह खरीद और बेच सकते है। इसके बारे में यहाँ और पढ़ें । |
एग्ज़िट लोड | जब आप एक म्युचुअल फंड को बेचते है, तब कुछ स्कीम पर एग्ज़िट लोड लागू होता है। ये कुछ स्कीम्स के लिए 1% तक हो सकता है। इसके लिए यहाँ पढ़ें |
खर्च अनुपात (एक्सपेंस रेशो) | इसे आपके इन्वेस्टमेंट के प्रतिशत के रूप में देखा जाता है। यह वह पैसा है जो आप हर साल आपके पैसों को मैनेज करने के लिए फंड हाउस को देते है। इसके बारे में यहाँ पर पढ़ें। |
फेस वैल्यू | किसी सेक्योरिटी की अनुमानित (नोशनल) वैल्यू जिस पर डिविडेंड,शेयर कैपिटल आदि कैलकुलेट किए जाते हैं। मगर इन्वेस्टमेंट से जुड़े फैसले लेने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण नहीं हैं। |
फंड मेनेजर | फंड मेनेजर वो व्यक्ति होता है, जो आपके पैसों को किस म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट करना है ये फैसला करता है । किसी भी म्युचुअल फंड की परफॉरमेंस बड़े पैमाने पर उसके फंड मैनेजर पर निर्भर करती है। |
फंड्स के फंड | एक ऐसा फंड जिसे किसी दुसरे फंड्स के पोर्टफोलियो में इन्वेस्ट किया जाता है । इसे मल्टी मेनेजर इन्वेस्टमेंट भी कहा जाता है। ज़्यादातर ग्लोबल म्युचुअल फंड्स इंटरनेशनल फंड्स के फंड होते है। |
गिल्ट | गिल्ट फंड्स ऐसे म्युचुअल फंड्स होते हैं जो सिर्फ सरकारी बोंड्स (डेट) में इन्वेस्ट करते हैं। ऐसे इन्वेस्टर जो रिस्क लेना चाहते हों और पुराने तरीकों पर चलकर सेक्योर्ड (सुरक्षित) सरकारी बॉन्ड में इन्वेस्ट करना पसंद करते हों, के लिए ऐसे फंड्स एक सही चुनाव है। |
गोल्ड फंड्स | गोल्ड फंड्स ऐसे म्युचुअल फंड्स हैं जो गोल्ड के हर प्रकार में इन्वेस्ट करते हैं। चाहे फिर वो फिज़िकल गोल्ड हो या फिर गोल्ड माइनिंग की कम्पनियाँ। |
ग्रोथ प्लान (विकास योजना) | ग्रोथ प्लान का मतलब है, डिविडेंड जिनका पेमेंट म्युचुअल फंड में स्टॉक्स से किया जा सकता है और आगे और फ़ायदा पाने (कमाने) के लिए उन्हें फिर से इन्वेस्ट किया जाएगा। |
होल्डिंग्स | म्युचुअल फंड के इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो के हिस्से ही होल्डिंग्स कहलाते हैं। |
इंडेक्स फंड्स | इंडेक्स फंड, पोर्टफोलियो म्युचुअल फंड का ही एक प्रकार है, जिसे मार्केट इंडेक्स के अलग-अलग भागों को मैच या ट्रैक करने के लिए बनाया गया है। इंडेक्स फंड्स के बारे में यहाँ पढ़ें । |
इन्वेस्टमेंट उद्देश्य | इस उद्देश्य को AMC ने इस म्युचुअल फंड के लिए शुरु किया है। AMC इस म्युचुअल फंड को इसी तरीके से ऑपरेट करेगा। लेकिन इनमें से ज़्यादातर उद्देश्य बदलते रहते हैं और इसलिए यह आपको AMC के उद्देश्य के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं देते हैं। |
केवाईसी (KYC) | इन्वेस्टमेंट के उद्देश्य के लिए पहचान और पते के प्रमाण को घोषित करने के लिए नो योर कस्टमर (KYC), की प्रक्रिया सेबी ने सबसे ज़रूरी बताई है। |
लार्ज कैप | ये इक्विटी फंड की एक ऐसी श्रेणी है, जो सामान्यतः बड़े मार्केट कैपिटलाइज़ेशन वाली कंपनियों जैसे लगभग 20,000 करोड़ और उससे ज़्यादा में इन्वेस्ट करती है। |
लॉन्च की तारीख | यह वह तारीख है, जिस दिन नए फंड के ऑफर के जरिए म्युचुअल फंड लॉन्च किया जाता है। |
लिक्विड फंड्स | लिक्विड फंड्स ऐसे म्युचुअल फंड्स हैं, जो कम समय की मेचोरिटी और ज़्यादा भरोसे (ऊँची क्रेडिबिलिटी) के साथ मनी मार्केट में इन्वेस्ट करते हैं(FD आदि)। इसलिए ये ज्यादातर ज़ीरो-रिस्क के म्युचुअल फंड्स होते हैं। |
लॉक-इन पीरियड | ये इन्वेस्टमेंट की तारीख से शुरू होने वाली वह समय अवधि है,जिसके लिए इन्वेस्टमेंट को वापस नहीं लिया जा सकता है। टैक्स सेविंग म्युचुअल फंड्स में 3 साल का लॉक-इन होता है। |
लॉन्ग टर्म | ज़्यादातर चर्चाओं में 5 साल से ज़्यादा का समय लॉन्ग टर्म माना जाता है। |
मार्केट कैप | मार्केट कैपिटलाइजेशन, पब्लिक ट्रेडेड कंपनी की मार्केट वैल्यू होती है। इसे मौजूदा शेयर की कीमत के साथ स्टॉक्स की संख्या से गुणा (मल्टिप्लाय) करके कैलकुलेट किया जाता है। |
मीन रिटर्न | मीन रिटर्न, किसी समय अवधि के अंदर मिलने वाले रिटर्न का अरिथमेटिक औसत है। इसे म्युचुअल फंड के अपेक्षित (एक्सपेक्टेड) रिटर्न्स के रूप में भी जाना जाता है। |
मिड कैप | ये इक्विटी फंड की ही एक केटेगरी है जो आमतौर पर मिड-साइज़्ड (मध्यम आकार) की कम्पनियों जिनकी मार्केट कैपिटलाइजेशन लगभग 5,000 करोड़ से 20,000 करोड़ के अंदर हो, में इन्वेस्ट करती है। |
मिनिमम एडिशनल इन्वेस्टमेंट (न्यूनतम अतिरिक्त इन्वेस्टमेंट) | मिनिमम एडिशनल इन्वेस्टमेंट का मतलब है कि, अगर आपने पहले से ही एक फंड में इन्वेस्ट किया हुआ है तो वो कम से कम राशि जिसका इस्तेमाल आप उसी फंड में और इन्वेस्ट करने के लिए करते हैं। |
मिनिमम इन्वेस्टमेंट(न्यूनतमइन्वेस्टमेंट | मिनिमम इन्वेस्टमेंट, फंड में इन्वेस्ट किए हुए एक मुश्त पैसे का वो मिनिमम अमाउंट (कम से कम राशि ) होता है, जो फर्स्ट-टाइम (पहली बार के) इन्वेस्टमेंट के रूप में जमा किया जाता है। |
मनी मार्केट | मनी मार्केट, फाइनेंशियल मार्केट का वो हिस्सा होता है जहाँ बहुत लिक्विड और शॉर्ट-टर्म मेचोरिटी में ट्रेड किया जाता है। |
एनएवी (NAV ) | नेट एसेट वैल्यू, ये किसी विशेष तारीख या समय पर म्युचुअल फंड या एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड का प्रति शेयर मूल्य है। |
एनएफओ | न्यू फंड ऑफर। जब कोई म्युचुअल फंड लॉन्च किया जाता है तब एक नया फंड ऑफर किया जाता है, जिससे फर्म सेक्योरिटीज़ खरीदने के लिए कैपिटल जुटाता है। इन्वेस्टर्स, एनएफओ से किसी क्लोज्ड –एन्ड म्युचुअल फंड की एक यूनिट को खरीद सकते है। |
निफ्टी | भारत में निफ्टी एक प्रमुख स्टॉक इंडेक्स है जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज द्वारा पेश किया गया है। निफ्टी की कीमत चुने हुए 50 स्टॉक्स की कीमत का वेटेड एवरेज (औसत) होता है। |
नॉमिनी | नॉमिनी, वह व्यक्ति होता है जिसे किसी संबंधित व्यक्ति की मृत्यु के मामले में फायदा मिलता है। |
पैन | परमानेंट अकाउंट नंबर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट(आयकर विभाग) द्वारा जारी एक 10 अक्षरों का अल्फा-न्यूमेरिक कोड है। भारत में कोई भी फाइनेंशियल लेनदेन करने के लिए पैन ज़रूरी है। |
पोर्टफोलियो | किसी एक व्यक्ति के लिए, पोर्टफोलियो फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट्स का एक कलेक्शन है। म्युचुअल फंड के लिए, एक पोर्टफोलियो कईं फाइनेंशियल सेक्योरिटीज़ में फंड की हाल की होल्डिंग्स है। |
पीएसयू | पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग पब्लिक या यूनियन गवर्नमेंट (राज्य या संघ सरकार) के अधिकार वाले कॉर्पोरेट्स होते हैं। |
रेटिंग | रेटिंग कई फैक्टर्स के आधार पर सेक्योरिटीज़ के सावधानीपूर्वक किए गए इवेल्युएशन के बाद प्रोडक्ट को दिया गया स्कोर है। |
रिडीम | म्युचुअल फंड्स को बेचकर इन्वेस्ट किए पैसे को वापस निकालना ही रिडीम कहलाता है |
रिडेम्पशन | रिडेम्पशन एक ऐसी क्रिया है जिसमें म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट किए पैसे को वापस निकाला जाता है |
रेगुलर फंड्स | रेगुलर फंड्स, एडवाइज़र, ब्रोकर या डिस्ट्रीब्यूटर जैसे इन्टर्मीडीएरी के जरिए खरीदे गए फंड्स होते है। |
रिटर्न्स | रिटर्न्स किसी इन्वेस्टमेंट पर हुए फायदे और नुकसान को बताता है। यह मूल रूप से प्रिंसिप (SIP)ल अमाउंट (राशि) में हुए बदलाव को बताता है।
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रिस्क | आमतौर पर रिस्क का मतलब इन्वेस्टमेंट में होने वाली अनिश्चितता है। यह स्टैण्डर्ड या एक्सपेक्टेड वैल्यू (अपेक्षित मूल्य) से डेविएशन को दर्शाता है। |
रिस्क फ्री रेट | रिस्क फ्री रेट, बिना रिस्क के किसी इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न्स की थ्योरेटिकल रेट को कहा जाता है। हम रिस्क फ्री रेट के लिए एसबीआई की 3 महीने की एफडी (FD) को प्रॉक्सी के तौर पर इस्तेमाल कर सकते है। |
आरटीए | रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट एक ऐसी एजेंसी है, जो म्युचुअल फंड के द्वारा नियुक्त की जाती है और ये म्युचुअल फंड यूनिट के एलोकेशन/रिडेम्पशन को हैंडल करती है। |
सेक्टर एलोकेशन | कईं सेक्टर्स जैसे फाइनेंशियल सर्विसेज़, आईटी, आदि में म्युचुअल फंड्स की अलग-अलग होल्डिंग का होना। |
सेक्टर फंड्स | एक ऐसा फंड जो सिर्फ किसी खास सेक्टर या इंडस्ट्री में हो रहे बिज़नेस में ही इन्वेस्ट करता है, सेक्टर फंड कहलाता है। चूँकि ये फंड्स एक ही सेक्टर से हैं, इसलिए ऐसे फंड्स डायवर्सिफाइड(अलग-अलग तरह के) नहीं होते हैं। |
सेंसेक्स | ये पूरे स्टॉक मार्केट को दर्शाता है। इसे एक आंकड़े के रूप में देखा जा सकता है जो फ्री फ्लोट मार्केट पर 30 कंपनियों की वेटेड रिलेटिव कीमत को बताता है। सेंसेक्स का बेस फाइनेंशियल इयर FY 1979 है और बेस वैल्यू 100 है। |
शार्प रेशो | इसका मतलब है रिस्क से प्रति यूनिट रेट पर रिस्क फ्री रेट वाले मीन रिटर्न्स कमाना। ये रिस्क एडजस्टमेंट रिटर्न्स को मापने का एक तरीका है। इसे नोबेल पुरस्कार विजेता विलियम एफ.शार्प ने बनाया था। |
शॉर्ट टर्म | शॉर्ट-टर्म, 12 महीने से कम की समय अवधि है। |
एसआईडी | स्कीम इनफार्मेशन डॉक्यूमेंट(एसआईडी), म्युचुअल फंड से जुड़ी सारी जानकारी देता है। यह आम तौर पर 50+ पेजों का डॉक्यूमेंट है, जो सारी जानकारी देता है। कुछ मामलों में म्युचुअल फंड पूरी केटेगरी के लिए एक संयुक्त (कम्बाइंड) एसआईडी जारी करता है। |
सिप (SIP) | सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान, एक ऐसा तरीका है जिसमें पैसों को रेगुलर इंटरवल (नियमित अंतराल) पर म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट किया जाता है। हर महीने किया जाने वाला इन्वेस्टमेंट सबसे ज़्यादा लोकप्रिय है।
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न्यूनतम सिप (SIP) | ये न्यूनतम इन्वेस्टमेंट अमाउंट है जिसे हर महीने सिप (SIP) म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट करना होता है। इस राशि को म्युचुअल फंड्स ही तय करते हैं। |
स्मॉल कैप | स्मॉल कैप, कंपनियों की एक केटेगरी है जिनका मार्केट कैप 3000 करोड़ से कम होता है। ऐसे म्युचुअल फंड्स जो इन स्मॉल कैप कंपनियों में इन्वेस्ट करते हैं वो स्मॉल कैप फंड के अंदर आते हैं। |
स्टैण्डर्ड डेविएशन | स्टैण्डर्ड डेविएशन(इसे,ग्रीक चिन्ह σ से भी समझा जाता है), यह एक तरीका है जिसका इस्तेमाल मीन रिटर्न्स से औसत रिटर्न के बीच के बदलाव को मापने के लिए किया जाता है। |
एसटीपी (STP) | सिस्टेमेटिक ट्रान्सफर प्लान (STP ),सिस्टेमेटिक विथड्रॉवल प्लान(SWP) और सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान(SIP) को मिलाकर बनाया गया है।इसके अंदर नियमित तौर पर एक फंड से पैसा निकाला जाता है और उसी समय दूसरे फंड में इन्वेस्ट कर दिया जाता है। यह AMC फंड्स जैसे ही काम करते हैं। |
एसडब्लूपी (SWP) | सिस्टमैटिक विथड्रॉवल प्लान, सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान का उल्टा होता है। इसमें रेगुलर इंटरवल पर फंड से मनी रिडीम किया जाता है। |
अल्ट्रा शॉर्ट टर्म | अल्ट्रा शॉर्ट टर्म, डेट म्युचुअल फंड्स का ही एक प्रकार है जो 1साल से कम की एवरेज मेचोरिटी वाली डेट सेक्योरिटीज़ में इन्वेस्ट करते हैं। |
यूटीआर (UTR) | जब भी आप आप एनईएफटी या आरटीजीएस से ट्रांज़ेक्शन करते है तब बैंक के द्वारा आपको यूनिक ट्रांज़ेक्शन रेफेरेंस (UTR) नंबर दिया जाता है । |
एक्सआईआरआर (XIRR) | एक्सआईआरआर, आईआरआर(इंटरनल रेट ऑफ़ रिटर्न) का ही एडवांस रूप है। जब दो से ज़्यादा ट्रांज़ेक्शन (पैसा इन्वेस्ट या रिडीम किया गया हो) हों और इर्रेगुलर इंटरवल (अनियमित अंतराल ) पर हों, तब ये कुल मिलाकर सारे रिटर्न्स को कैलकुलेट करने में मदद करता है। अगर आप किसी एक ही फंड में सिप (SIP) या मल्टीपल ट्रांज़ेक्शन कर रहे हैं तब रिटर्न्स को कैलकुलेट करने के लिए सिर्फ एक्सआईआरआर ही एक तरीका है। |
सस्पेंडेड फंड | ऐसे म्युचुअल फंड्स जिसने सिप (SIP) और एक मुश्त तरीके से नये इन्वेस्टमेंट लेना बंद कर दिया है, उन्हें सस्पेंडेड फंड मान लिया जाता है जैसे; डीएसपी बीआर माइक्रो कैप। |
यूनिट्स | इकाईयाँ (यूनिट्स) बताती हैं कि एक म्युचुअल फंड में किसी व्यक्ति के पास कितनी ओनरशिप (स्वामित्व) है। |
फोलियो | फोलियो फाइनेंशियल एसेट्स जैसे स्टॉक, बॉन्ड, म्युचुअल फंड आदि का संग्रह (ग्रुप) होता है। |
वाईटीएम | आज के मार्केट प्राइस पर किसी इन्वेस्टर के द्वारा कमाया गया एवरेज इंटरेस्ट रेट, यह मानते हुए कि सभी डेट सेक्योरिटीज़ (बॉन्ड, लोन, आदि) मेचोरिटी होने तक रखी जाएगी। |
मॉडिफाइड (संशोधित) अवधि | यह इंटरेस्ट रेट के लिए डेट सेक्योरिटीज़ की संवेदनशीलता है। अगर मॉडिफाइड अवधि 1 है और इंटरेस्ट रेट 1% से बढ़ती है, तो डेट सेक्योरिटीज़ की कीमत 1% से कम हो जाती है। |
IFSC कोड
(आईएफएससी कोड) |
इंडियन फाइनेंशियल कोड सिस्टम (“भारतीय वित्तीय प्रणाली कोड”)। इसका इस्तेमाल भारत में NEFT और RTGS जैसे इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफ़र करने के लिए और किसी बैंक की ब्रांच को ढूंढने में किया जाता है। |
बिलर | बिलर, कोई व्यक्ति या कोई वस्तु हो सकती है जो बिल और पेमेंट की प्रक्रिया करती है। |
इन्टरनेट-सिप (SIP) | इंटरनेट-आधारित सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP), ये सिप (SIP) को शुरू करने का वह तरीका है जिसमें किसी कागज़ की ज़रूरत नहीं होती है |
स्टॉक्स | स्टॉक किसी भी कंपनी के स्वामित्व के सर्टिफिकेट हैं। |
शेयर्स | शेयर किसी भी कंपनी के स्टॉक सर्टिफिकेट होते हैं। |
बॉन्ड्स | ये एक डेट इंस्ट्रूमेंट है, जिसमें इन्वेस्टर किसी एंटिटी को पैसा उधार देता है और यह एंटिटी (कंपनी) बदलते हुए या फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट पर एक निश्चित समय के लिए फंड्स उधार लेता है। |
ओपन-एंडेड फंड्स | ये एक प्रकार का म्युचुअल फंड है जिसमें, शेयरों को इशू करने (देने) की संख्या पर कोई सीमा नहीं होती है। |
क्लोज्ड-एंडेड फंड्स | यह एक ऐसा म्युचुअल फंड है, जो एक शुरुआती पब्लिक ऑफरिंग के जरिए एक फिक्स्ड अमाउंट का कैपिटल इकठ्ठा करता है और जिसे स्टॉक एक्सचेंज पर स्टॉक की तरह ट्रेड किया जाता है। |
ग्लोबल फंड्स | म्युचुअल फंड का एक ऐसा प्रकार,जो पूरी दुनिया में किसी भी कंपनी में इन्वेस्ट कर सकता है। |
न्यूनतम विथड्रॉवल | यह वह कम से कम ज़रूरी राशि है, जिसे हर साल आपके खाते से निकाला जाना ज़रूरी है। |
किम (KIM ) | की (key) इन्फॉर्मेशन मेमोरेंडम का शॉर्ट फॉर्म, जो स्कीम इनफार्मेशन डॉक्यूमेंट का एक दूसरा प्रकार है, जिसमें इन्वेस्टर्स के लिए ऑफर-डॉक्यूमेंट के खास सेक्शनों को बताया जाता है। |
इंडेक्सिंग
(सूचीकरण) |
ये एक तकनीक है जो इनकम पेमेंट्स को प्राइस इंडेक्स के अनुसार बनाए रखती है, जोकि इन्फ्लेशन के बाद, इन्वेस्टर्स के खरीदने की क्षमता को बनाए रखने के लिए इस्तेमाल की जाती है। |
इनकम फंड्स | इनकम फंड्स, म्युचुअल फंड्स, ईटीएफस(ETFs) या और किसी तरह का फंड है जिसके अंदर ऐसी सेक्योरिटीज़ में इन्वेस्ट किया जाता है जो डिविडेंड या इंटरेस्ट पेमेंट्स देकर शेयरहोल्डर्स के लिए आमदनी का जरिया बन सके |
सरकारी सेक्योरिटीज़ | यह सरकारी अथॉरिटी द्वारा जारी किया गया एक बांड है, जिसमें मेचोरिटी होने पर रीपेमेंट (पुनर्भुगतान) होता है। |
सेक्योरिटीज़ | सेक्योरिटी एक फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट है, जो एक तरह की फाइनेंशियल वैल्यू दर्शाता है। |
फ्लोटिंग रेट (अस्थाई दर) | फ्लोटिंग रेट एक ऐसी इंटरेस्ट रेट है जो इंडेक्स या मार्केट के आधार पर ऊपर-नीचे होती रहती है |
इक्विटी स्कीम | एक ऐसा म्युचुअल फंड जो खास तौर पर स्टॉक्स में इन्वेस्ट करता है, इक्विटी स्कीम/फंड कहलाता है |
एम्फी (AMFI) | एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया, एक संगठन है जो इंडस्ट्री के स्टैंडर्ड्स को बनाये रखती है। |
सेबी (SEBI) | सेक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड), सेक्योरिटीज़ मार्केट के लिए रेगुलेटर का काम करती है |