इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग एक प्रक्रिया है जिसमें एक कंपनी पहली बार अपनी शेयर्स स्टॉक मार्केट में जनता को, फंड जुटाने के लिए ऑफर करती है।
एक आईपीओ में, इंस्टीटूशन्स और साथ ही रिटेल इन्वेस्टर्स, दोनों भाग ले सकते हैं और इस कारण से, इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग में इंवेस्टमेंट्स, इन्वेस्टर्स द्वारा काफी उत्साह से देखा जाता है ।
स्टॉक की कीमत आईपीओ के दौरान इश्यू सेल द्वारा निर्धारित की जाती है, जो ऊपर या नीचे जा सकती है और यह कंपनी के स्टॉक में इन्वेस्टर्स की रुचि (इंटरेस्ट) पर निर्भर करती है।
साल 2021 के दौरान, भारत में विभिन कंपनियों ने 1.2 लाख करोड़ रूपए का रिकॉर्ड पैसा आईपीओ के द्वारा स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टर्स से उठाएं थें। जो की भारत में किसी एक कैलेंडर साल में अब तक का, आईपीओ से उठाये गए सबसे बड़ा अमाउंट है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के डेटा के अनुसार, साल 2021 में कुल मिला कर 115 कंपनियों ने SEBI के पास अप्रूवल के लिए अपने डाक्यूमेंट्स जमा दिए थें। इनमे से 63 इंडियन कंपनियों ने साल 2021 में आईपीओ स्टॉक मार्केट में लॉन्च किये थें।
नीचे इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग में इस्तेमाल किये जाने बाले टर्म्स दिए गएँ हैं जिनका उपयोग अक्सर तब किया जाता है जब हम आईपीओ पर चर्चा या उसकी एनालिसिस करते हैं:
ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस एक कंपनी द्वारा सेबी (SEBI) के पास जमा किया जाता है जब वह जनता को अपने शेयर बेचकर धन जुटाना चाहती है।
यह डॉक्यूमेंट बताता है कि कंपनी कैसे, जुटाई जाने वाली जनता के पैसे का उपयोग करना चाहती है, और इन्वेस्टर्स के लिए पॉसिबल रिस्क्स क्या हैं। DRHP में कंपनी के बारे में वह सब कुछ लिखा होता है जो एक इन्वेस्टर को कंपनी के बारे में पता होना चाहिए। जैसे फाइनेंसियल हिस्ट्री, कंपनी का स्ट्रेंथ, रिस्क, कंपनी के विरुद्ध कोई कानूनी प्रक्रिया चल रही है या नहीं, आदि। इस लिए, इन्वेस्टर्स को किसी भी आईपीओ में इन्वेस्ट करने से पहले इस डॉक्यूमेंट को पढ़ना चाहिए ।
ध्यान दें कि यह जांचना आवश्यक है कि कंपनी द्वारा IPO से जुटाई गई फंड्स का उपयोग कैसे किया जाएगा।
यह भी जांचना चाहिए कि क्या कंपनी अपना कर्ज चुकाना चाहती है या अगर कंपनी व्यवसाय का एक्सपेंशन करने या कॉरपोरेट कारण के लिए फंड्स का उपयोग करने के लिए फंड्स जुटाने की योजना बना रही है।
ऑफर फॉर सेल भी शेयर बाजार से पैसे जुटाने का एक तरीका है।। उठाए गए धन उन प्रमोटरों के पास जाएंगे जो अपने शेयर बेच रहे हैं।
इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग में इन्वेस्ट करने से पहले इन्वेस्टर्स को यह समझना चाहिए कि कंपनी का किस तरह का बिजनेस मॉडल है।
एक बार जब वे समझ जाते हैं कि कंपनी किस तरह के व्यवसाय में है, तो अगला कदम बज़ार में नए अवसर को पहचानना है।
यह इंडीकेट करेगा कि क्या बड़ा अवसर आने पर कंपनी क्षमता विस्तार (capacity expansion) में इन्वेस्ट करने में सक्षम होगी और अपने इन्वेस्टर्स को प्रॉफिट का शेयर देने के लिए पर्याप्त धन जेनेरेट कर पाएगी? यह तभी हो पायेगा जब कंपनी की मार्केट शेयर पर कब्जा करने की क्षमता हो।
अगर कंपनी का बिज़नेस एक्टिविटी (गतिविधियां) इन्वेस्टर्स के पास साफ नहीं है, तो उन्हें उस कंपनी के आईपीओ से दूर रहना चाहिए।
उससे यह पता लगेगा की कहीं कंपनी जिस सेक्टर में है उसकी तुलना में ऑफर प्राइस अंडर वैल्यूड या ओवर वैल्यूड तो नहीं है।