करंट समय में रूस यूक्रेन वॉर खबरों में हेडलाइंस पर कब्ज़ा जमाये हुए है | परन्तु हमें यह समझने की ज़रूरत है की आखिर इस युद्ध के कारण क्या हैं? रूस ने क्यों यूक्रेन बार्डर पर सेना तैनात किया , और यूक्रेन पर बम बरी किन करने से कर रहा है, तथा रूस को वेस्टर्न देशों से क्या चाहिए?
पॉइंट वाइज एक्सप्लनेशन
इन्ही सरे प्रश्नों के आंसर जांनने के लिए निचे दिए गए, पॉइंट वाइज एक्सप्लनेशन को पढ़ें| NATO (नाटो) – बड़ा कारण है
- रशिया और यूक्रेन के बीच के वर्तमान क्राइसिस के पीछे नाटो (NATO- नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) बड़ा कारण है| नाटो 30 देशों का एक ग्रुप है, जिनमें यूएस, यूके, फ्रांस और जर्मनी जैसे प्रमुख देश शामिल हैं|
- यूक्रेन नाटो में शामिल होना चाहता है और नाटो भी यूक्रेन को अपना सदस्य मानने के लिए कभी राजी हुआ था | कोल्ड वॉर के समय से, यूएस, रशिया का प्रमुख दुश्मन माना जाता रहा है | मॉस्को इस वजह से यूक्रेन से तथा नाटो से नाराज है|
अंग्रेजी में पढें – रूस-यूक्रेन संकट
जियो-पोलिटिकल कारण|
- रसिया के वेस्टर्न बॉर्डर पर यूक्रेन के स्थित होने के वजह से रसिया इस बात से चिंता जाहिर कर रहा है की यदि यूक्रेन नाटो का सदस्य हो जाता है तो बाकी नाटो देशों, जैसे कि यूएस, यूके, जर्मनी, तथा फ्रांस और अन्य नाटो सदस्य देश अपना सैनिक अड्डा यूक्रेन में इस्टैबलिश् कर सकता है| नाटो के नियमों के अनुसार यदि किसी नाटो सदस्य देश पर बाहरी अटैक होता है तो बाकी सारे नाटो मेंबर देश मिलकर उस नाटो मेंबर देश को सपोर्ट कर सकते हैं या फिर मिलिट्री सपोर्ट भी दे सकते हैं | काफी हद तक रशिया मानता है कि यूक्रेन के नाटो में शामिल होने पर रशिया पर नाटो सदस्य देशों द्वारा अटैक की भी संभावना हो सकती है |
- यूएस में बेस्ड थिंक टैंक, ब्रूकिंग्स (Brookings) ने भी लिखा है की वर्ल्ड वॉर 2 के बाद मॉस्को का क्रीमिया (Crimea) को, जो कि यूक्रेन का भाग हुआ करता था, रशिया में शामिल कर लेना, यूरोप में सबसे बड़ा जमीन का कब्जा है |
- वाशिंगटन ट्रीटी के आर्टिकल 5 के अनुसार, नाटो के किसी एक देश, या एक से अधिक देश पर बाहरी हमला होता है तो इस को नाटो, प्रिंसिपल ऑफ़ कलेक्टिव डिफेन्स (Principle of Collective Defense) के अंदर अपने ऊपर हमला मानेगा | एहि कारन है कि रूस को लगता है की, और रिसेंटली रुस्सियन प्रेजिडेंट, पुतिन ने यह कहा था की “यदि यूक्रेन नाटो का सदस्य बन जाता है तो यूक्रेन नाटो सदस्य देशों कि साथ मिल कर मिलिट्री एक्शन कर, क्रीमिया को रूस के पास से वापस लेने कि कोशिस करेगा | इस कंडीशन में क्या रूस नाटो ब्लॉक् से युद्ध करेगा? किसी ने यह बात सोची है ? शायद नहीं |”
- नाटो ने ईस्टर्न यूरोप में अपना फोर्स लगा रखा रखा है और रूस चाहता है की नाटो ईस्टर्न यूरोप से अपना फोर्स विथड्रॉ कर ले यूक्रेन में एक्सपैंड न करे|
- रिसेंटली रूस ने यूएस और अन्य नाटो देशो से लीगल सिक्योरिटी गारंटी मांगते हुए एक ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट शेयर किया था|
- इस डॉक्यूमेंट के आर्टिकल 6 के अनुशार, रूस नाटो देश से इस बात कि गॅरेंटी मांग रहा है के नाटो अपना और एक्सपेंशन नहीं करेगा तथा यूक्रेन और अन्य राज्यों को अपने में शामिल नहीं करेगा|
- रूस का यह भी मनना है की यूक्रेन ने रूस के विरुद्ध मिलिट्री एक्शन लेने का प्लान बनाया है और इस वजह से रूस यूक्रेन कि Demilitarization तथा Denazification करने के लिए यूक्रेन पर हमला कर रहा है|
Russia Ukraine Crisis – Impact on Investors
रूस पर इकनोमिक सैंक्शंस
- रूस के यूक्रेन पर अटैक के कारण रूस पर यूएस और बहुत सरे वेस्टर्न देशों और यूरोपियन देशों ने – यूरोपियन यूनियन (European Union) के द्वारा, इकनोमिक तथा सोशल सेक्शंस लगाएं हैं |
- रूस के ईस्टर्न यूक्रेन में सेपरटिस्ट रेपुब्लिकस ऑफ़ दोनेत्स्क (Donetsk) और लुहांस्क (Luhansk) के आजादी को मानने के अनाउंसमेंट पर USA ने इन दोनों रीजनस के साथ ट्रेड पर रेस्ट्रिक्शन लगाया है| दो बड़े रुस्सियन बैंक्स पर भी एडिशनल सैंक्शंस लगाया है |
- यूएस ने रुस्सियन बांड्स के यूएस के सेकेंडरी मार्किट में बिक्री पर 01मार्च 2022 से रोक लगा दी है|
- जर्मनी ने नारद स्ट्रीम 2 बाल्टिक सी गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट (Nord Stream 2 Baltic Sea gas pipeline Project) पर रोक लगा दिया है|
- U.K प्राइम मिनिस्टर, बोरिस जॉनसन ने ५ रस्सियन बैंक्स तथा पुतिन के इनर सर्किल के ३ बिल्लिओनेरे मेंबर्स पर सैंक्शंस लागू कर दिया है|
- जो बिडेन ने रूस पर और भी सैंक्शंस लगाए हैं, जिन में रूस तो टेक्नोलॉजी एक्सपोर्ट का ब्लॉक करना शामिल हैं, तथा रस्सियन बैंक्स पर एडिशनल सैंक्शंस USA, UK, कनाडा और एयरोनीन कमिशन द्वारा लगाया गया हैं, जिन में स्विफ्ट बैंकिंग सिस्टम (SWIFT Banking System) पर रोक शामिल हैं, ताकि रस्सियन बैंक्स को विश्व के दूसरे देशों से पैसा ट्रांसफर नहीं किया जा सकेगा|
- Apple Pay और Google Pay ने रूस में ऑपरेशन्स बंद कर दिया हैं|
रूस यूक्रेन क्राइसिस का इंडियन इकॉनमी पर असर
- SBI इकोनॉमिस्ट के अनुसार फाइनेंसियल मार्केट्स, एक्सचेंज रेट और क्रूड आयल के दाम पर शार्ट-टर्म इफ़ेक्ट होगा|
- इंडियन आयल कारपोरेशन (IOC), इन्सुरेंस रिस्क के वजह से रस्सियन क्रूड आयल कार्गो फ्री ऑन बोर्ड (FOB) बेसिस पर एक्सेप्ट नहीं करेगी| इंटरनॅशनस्ल मार्किट में प्रति बैरल क्रूड आयल का दाम $100 के पार जा चूका हैं | इस वजह से इंडिया में इस का सीधा असर हो सकता हैं क्यूंकि इंडिया 80% क्रूड आयल इम्पोर्ट करता हैं| जिसका असर ट्रेड पर हो सकता हैं| एक्सपोर्ट्स घटने और इम्पोर्ट बढ़ने के वजह से ट्रेड डिफिसिट बढ़ने का चांस हैं|
- इंडिया में बैंकिंग सेक्टर ने अभी तक मजबूती दिखाई है|
- कॉर्पोरेट सेक्टर अभी तक का सबसे ज्यादह, Rs 1.89 लाख करोड़, पब्लिक इक्विटी मार्किट से उठाया है| कॉर्पोरेट सेक्टर के क्रेडिट रेश्यो में भी इम्प्रूवमेंट आया है|
ओवरआल देखा जाय तो रूस यूक्रेन क्राइसिस का इंडिया पर बहुत अधिक असर नहीं दिखा है|